Tuesday, February 11, 2014

दो मुक्तक

भले कुछ भी लिखू लिख के मिटा देती हूँ
इसी जद्दोजहद मे वक्त गँवा देती हूँ
नाराज शब्द हुए मेरी कलम से शायद
हाथ आते ही हर वक्त सदा देती हूँ ||*

मेरे हर शब्द पर, ऊँगली उठाना छोड़ दो  
कलम का दिल बड़ा कोमल, दुखाना छोड़ दो  
मेरे जज़्बात की छत, कांपती है खौफ से 

हिकारत की ज़रा बिजली, गिराना छोड़ दो ||*

Friday, February 7, 2014

वंदना


हे शारदे माँ, हे शारदे माँ
विद्द्या का मुझको भी वरदान दे माँ

करूँ मै भी सेवा तेरी उम्र भर
मुझमे भी ऐसा कोई
भाव दे माँ
हे शारदे माँ , .......

चलूँ मै भी हरदम सत्यपथ पर
कभी भी न मुझसे कोई चूक हो माँ
हे शारदे माँ ,...........

दिखें जो दुखी-दीन आगे मेरे
कुछ सेवा उनकी भी मै कर सकूं माँ
हे शारदे माँ ,...............

जिह्वा जो खोलूँ तू वाँणी मे हो
चले जो कलम तो तू शब्द दे माँ
हे शारदे माँ, .............

सुख,स्वास्थ,शान्ति सभी को मिले
हर इक को ऐसा ही वरदान दे माँ
हे शारदे माँ ,............

मीना पाठक
चित्र-गूगल


Tuesday, January 7, 2014

आप सब का नया साल शुभ हो

मुट्ठी से रेत की तरह
फिसल गया ये साल भी
पिछले साल की तरह,
वही तल्खियाँ, रुसवाइयाँ
आरोप, प्रत्यारोप,बिलबिलाते दिन
लिजलिजाती रातें, दर्द, कराहें
दे गया सौगात में |

सोचा था पिछले साल भी
होगा खुशहाल, बेमिशाल
लाजवाब आने वाला साल
,
भर लूँगी खुशियों से दामन
महकेगा फूलों से घर आँगन
खुले केशों से बूँदें टपकेंगी
दूँगी तुलसी के चौरा में पानी
बन के रहूँगी राजा की रानी |

हो गया फिर से आत्मा का चीरहरण
केश तो खुले पर द्रोपदी की तरह
कराहों, चीखों से भर गया घर आँगन
आपमान की ज्वाला से दहकने लगा दामन
भर गया रगों में नफरत का जहर
हाहाकार कर उठा अंतर्मन, पर
रह गई मन की बात मन में
कह ना सकी किसी से अपनी उलझन |

लो आ गया फिर से नया साल
जागी है फिर से दिल में आस
लाएगा खुशियाँ अपार
मिटेगा मन से संताप
दहकाए न कलुषित शब्दों का ताप
दे ये नया साल खुशियों की सौगात |

हो
, माँ शारदे की अनुकम्पा
बोल उठें शब्द बेशुमार
मेघ घननघन बरसे
कल-कल सरिता बहे
धरती धनी चूनर ओढ़े
फिर,
नाच उठे मन मयूर
शब्द झरें बन कर फूल
गाये पपीहा मंगल गीत
आने वाले साल का
हर दिन हो शुभ !!!

Tuesday, December 17, 2013

चीख !!

हॉस्पिटल से आने के बाद दिया ने आज माँ से आईना माँगा | माँ आँखों में आँसू भर कर बोली ना देख बेटा आईना, देख न सकेगी तू |” पर दिया की जिद के आगे उसकी एक न चली और उसने आईना ला कर धड़कते दिल से दिया के हाथ में थमा दिया और खुद उसके पास बैठ गई | दिया ने भी धड़कते दिल से आईना अपने चेहरे के सामने किया और एक तेज चीख पूरे घर में गूँज गई, माँ की गोद में चेहरा छुपा कर फूट-फूट कर रो पड़ी दिया | माँ ने अपने आँसू पोंछे और उसके सिर पर स्नेह से हाथ फेरते हुए बोली कि मैंने तो पहले ही तुझसे बोला था कि मत देख आईना पर तू ही नही मानी |” माँ का कलेजा भी फटा जा रहा था अपनी बेटी की ये दशा देख कर | 
कितनी खुश थी उस दिन दिया जब वो कोलेज की सबसे सुन्दर लड़की चुनी गई थी | तभी महेश से उसकी दोस्ती हुई | सब कुछ अच्छा चल रहा था बीएसी फाइनल में जब उसकी शादी तय हुई तब उसने ये खुशखबरी महेश को दी, वो एकदम आगबबूला हो गया ये कैसे हो सकता है, प्यार मुझसे और शादी किसी और से ?” ये सुन कर दिया आवाक रह गई | दिया ने उसे बहुत समझाया कि वो दोनों एक अच्छे दोस्त के सिवा कुछ भी नही पर महेश अपनी जिद पर अड़ा रहा | उसने दिया को घमकी दी कि वो उसकी शादी किसी और से नही होने देगा | दिया ने उसकी बातों को कोई महत्व नही दिया और उससे मिलना-जुलना, बात करना सब बंद कर दिया | ठीक सगाई से एक दिन पहले जब वो पार्लर जा रही थी, उसके सामने से एक बाइक निकली और दिया के मुंह से हृदयविदारक चीख निकल गई थी |

शापित

                           माँ का घर , यानी कि मायका! मायके जाने की खुशी ही अलग होती है। अपने परिवार के साथ-साथ बचपन के दोस्तों के साथ मिलन...