Wednesday, August 6, 2014

मुक्तक


१-
जब भी ये सावन आता है
पिया की याद दे जाता है
जब से गये परदेश पिया
बैरी मधुमास न भाता है  ||
२-
कोमल दिल मुझसा पाओगे फिर कहाँ
जख्मों पर नमक छिड़क, जाओगे फिर कहाँ
जिंदा हूँ साँसों की गिनती खत्म होने तक
सुलग कर राख हो जाऊँगी जलाओगे फिर कहाँ ||

मीना पाठक 

Saturday, August 2, 2014

भगवान शिव को प्रिय है सावन



हिन्दू पंचांग के बारह मासों में श्रावण (सावन) मास भगवान शिव को सर्वाधिक प्रिय है | इस माह को वर्षा ऋतु भी कहते हैं | भगवान शिव को चंद्रमा बहुत प्रिय हैं इसी लिए उन्होंने चंद्रमा को अपने मस्तक पर धारण किया है जिसके कारण वह चन्द्रशेखर कहलाये | चन्द्रमा जल तत्व का ग्रह है इसी लिए इस माह में जल की अधिकता होती है |
सावन मास भगवान शिव को विशेष प्रिय है | इस लिए इस मास में शिव की पूजा अर्चना का विशेष महत्व और विधान है जिसे शिव भक्त बड़ी श्रद्धा से करते हैं तब आशुतोष शिवशंकर प्रशन्न हो कर मनोवांछित फल देते है |
सावन भगवान शिव को इतना प्रिय क्यों है ? इसके बारे में एक पौराणिक कथा में कहा गया है कि सती के देहत्याग करने के पश्चात जब आदिशक्ति ने अपने दूसरे जन्म में पार्वती के रूप में पर्वतराज हिमालय के घर में जन्म लिया तब उन्होंने अपने युवावस्था में इसी माह में निराहार रहकर कठोर तपस्या कर के भगवान शिव को प्रशन्न किया और उन्हें पति रूप में पाने का वरदान प्राप्त किया | सावन माह शिव और पार्वती के मिलन का माह है कहते हैं तभी से सावन मास शिव को अत्यधिक प्रिय हो गया | इसके अलावा भी और कई कारण है |
कहते हैं कि भगवान शिव इस मास पृथ्वी पर अपनी ससुराल आये थे तब उनका स्वागत आर्घ्य और जलाभिषेक से किया गया था इसी लिए ये महीना शिव को प्रिय है और पृथ्वीवासियों को उनकी कृपा पाने का मास भी है |
एक और कथा के अनुसार जब समुद्रमंथन से विष निकला था तब सम्पूर्ण श्रृष्टि की रक्षा हेतु भगवान शिव ने वो विष अपने कंठ में धारण कर लिया था उस विष के प्रभाव से उन्हें मूर्च्छा आ गई तब ब्रह्मा जी के कहने पर सभी देवताओं ने उन पर जलाभिषेक किया | कहते हैं तभी से भगवान शिव का जलाभिषेक होने लगा | यह अद्भुत घटना भी सावन मास में घटित हुआ इस लिए भी सावन मास शिव को प्रिय है | सर्प आशुतोष शिव के प्रिय आभूषण हैं अत: नागपंचमी का पर्व भी इसी महीने में मनाया जाता है |
सावन मास के प्रधान देवता भगवान शिव हैं | यही कारण है कि इस महीने शिव की पूजा का कई गुना फल प्राप्त होता है | इन्ही सब कारणों से माना जाता है कि भगवान शिव को सावन मास सबसे प्रिय है |
इस महीने कथा,प्रवचन,सत्संग सुनने का विशेष महत्व है |
 सावन में सोमवार व्रत अत्यधिक फल देने वाला होता है | शिवशंकर बहुत भोले हैं और जल उन्हें बहुत प्रिय है वो मात्र जलाभिषेक से ही प्रशन्न हो जाते हैं | प्रेम पूर्वक शिवपार्वती की पूजा आरती से आत्मिक सुख की प्राप्ति होती है |

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ऊं नमः शिवाय

मीना पाठक
 

Friday, July 18, 2014

गाओ कजरी सखी आयो मधुमास



सावन मास आते ही वर्षा से धरा सिंचित हो कर अपने गर्भ में छुपे बीजों को अंकुरित कर देती है और पूरी धरा हरित हो जाती है | कोयल मीठे सुर में गाने लगती है, पपीहा पीहू करता है और मोर नाच उठते है | स्त्रियाँ लहरिया चुनरी, हथेलियों में मेहदी, कलाईयों में हरी चूड़ियाँ सजाने लगती हैं | ऐसे सुन्दर मधुमास का असर साहित्य पर ना पड़े ये कैसे हो सकता है | साहित्य पर भी हरियाली छा जाती है | साहित्यकारों की कलम चल पड़ती है | नीम के पेडों पर झूले पड़ जाते हैं और सावन में नैहर आई हुई सखियाँ एक दूसरे से ठिठोली करती, एक दूसरे का हाल पूछतीं, कजरी गातीं झूला झूलती हैं |
ऐसे ही एक दृश्य में नीम के पेड़ पर झूला पड़ गया है और सभी सखियाँ चुहल करती हुई झूला झूल रहीं हैं | दो सखियाँ  पींगे मारने के लिए रस्सी पकड़ कर पाटे पर खड़ी हो जाती हैं और दो सखियाँ पाटे पर बैठ जाती हैं | सखियाँ पींगे मारने लगती हैं और झूला धीरे-धीरे ऊपर नीचे होने लगता है | सब सखियाँ एक दूसरे से मिल कर खुशी से खिल उठी हैं पर एक सखी जो झूले पर दूसरी सखी के साथ बैठी है, उदास है | पास बैठी सखी उससे कहती है कि

गाओ कजरी सखी आयो मधुमास
पड़ गये झूले डाल-डाल पर
आयीं गुइयाँ सब खास
गाओ कजरी सखी आयो मधुमास ||
तब उदास सखी अपनी आँखों में जल भर कर कहती है कि
पी-घर छोड़ के नैहर आई
दिल पर ले कर जख्म हजार
क्या गाऊँ सखी भाये ना मधुमास ||
वहाँ पर खड़ी अपनी सभी सखियों के पाँवो में आलता, हथेलियों में रची मेहदी और कलाइयों में भरी-भरी हरी चूड़ियाँ देख कर वह कहती है कि --
हरी चूड़ियाँ मन ना भाये
आलता, महावर मुंह बिराए
कैसे रचाऊँ मेहदी,जख्मी मेरे हाथ
कैसे गाऊँ सखी भाये ना मधुमास ||
उसे उदास देख कर सभी सखियाँ उदास हो जाती हैं | झूला रोक दिया जाता है वो फिर से अपनी वेदना सखियों से कहती है --
साथी थे जो जीवन पथ के
बोये शूल हर इक पग पे
सात वचन जो लिए थे हमने
टूटे जाने कितनी बार
क्या गाऊँ सखी भाये ना मधुमास ||
उसकी व्यथा सुन् कर सभी सखियाँ व्यथित हो जाती हैं क्यों कि वो तो यही सोच रहीं थीं कि उसकी सखी ससुराल में अपने पति के साथ बहुत खुश है | वो अपने आँसू पोंछते हुए अपने दिल का दर्द अपनी सखियों से बयान करती है --
अब ना भाये बिंदिया गजरा
नाक में लौंग आँख में कजरा
ना चुनरी लहरियादार
क्या गाऊँ सखी भाये ना मधुमास ||
जो बातें वो किसी को नही बता पा रही थी अपनी प्रिय सखियों को बता कर अपना मन हल्का कर रही है सखियाँ भी उसकी बात सुन् और समझ रहीं हैं वो भी अपनी सखी को इस हाल में देख कर दुखी हैं, उन सब की आँखों से झर-झर आँसू बह रहे हैं | बिलखते हुए उदास सखी फिर से कहती है--
व्यर्थ गया ये जीवन सारा
जीत कर भी सब कुछ हारा
पथिक हूँ अब पथ पे अकेली
छोड़ दिया हर इक ने साथ
कैसे गाऊँ सखी भाये ना मधुमास ||
सभी सखियों ने अपने आँसू पोंछे फिर अपनी बिलखती सखी के आँसू पोंछ कर उसे गले लगा हौसला देते हुए बोलीं --
सुन् री सखी, नहीं तू अकेली
जीवन पथ पर संग हम सहेली
आँसू ना अब तू ढरका
हाथ बढ़े सबके इक साथ
गाओ कजरी सखी आयो मधुमास ||
जो जीवन से निराश हो चुकी थी अपनी सखियों का स्नेह भरा स्पर्श पा कर उसे जीने का हौसला मिलता है, मन का मवाद आँसूओं के साथ बह गया | सखियाँ फिर से झूले को पींगे मार कर झूलाती हैं और सभी सखियाँ मिल कर गाती हैं --

गाओ कजरी सखी आयो मधुमास ||


मीना पाठक
 

Sunday, June 22, 2014

चलो एक वृक्ष लगाएं !


चलो एक वृक्ष लगाएं
करें पुण्य का काम
जो दे हम सब को
जीवन भर आराम
चलो एक वृक्ष लगाएं |

धरती माँ का गहना है ये
है ये उनका रूप श्रृंगार
पत्ता-पत्ता बूटा-बूटा
देता हमको जीवन दान
चलो एक वृक्ष लगाएं |

बरगद, पीपल, नीम, पाकड़
तुलसी, अक्षय, पारिजात
ये सब है उपहार प्रकृति का
मिला है सबको एक समान
चलो एक वृक्ष लगाएं |

जल का संग्रह करना है अब
सोच लें गर हम सब इक बार
वर्षा जल संचित कर के हम
भर लें जल भण्डार अपार
चलो एक वृक्ष लगाएं |

गंगा को मैली कर-कर के
किया है हमने जो अपराध
पुनः उसे स्वक्ष करने का
संकल्प लें, बढ़े हम साथ
चलो एक वृक्ष लगाएं ||

मीना पाठक 


शापित

                           माँ का घर , यानी कि मायका! मायके जाने की खुशी ही अलग होती है। अपने परिवार के साथ-साथ बचपन के दोस्तों के साथ मिलन...