Saturday, February 2, 2013

इन्तजार


















बहुत याद आता है मुझे
तुम्हारा मेरे
पीछे-पीछे घूमना
जरा भी मुझे
उदास देख कर
तुम्हारा परेशान
हो जाना ........
बहुत याद आता है मुझे
कुछ खो जाने पर
झट से ढूँढ
कर मुझे देना
और कहना
परेशां होना तुम्हारी
आदत है
सामान कही
भी रख के भूल
जाती हो'.......

फिर वो शुभ
घड़ी आयी
पगडण्डी से
होते हुए
डाकिये
के हाथ एक
चिट्ठी आयी
बेसब्री से इन्तजार था
जिसका हम को
फिर,
वो दिन भी आ
गया, जब तुम्हे
मुझसे दूर जाना था
तुम आगे और मैं
तुम्हारे पीछे - पीछे
जा रही थी उसी
पगडंडी पर
तुम्हे कुछ दूर छोड़ने,
मैंने अपने आँसुओं
के समन्दर को
बांध रखा था
शायद तुमने भी
पर, ज्यादा देर
नही रोक पाए हम दोनो
तुम पलट कर
लिपट गये मुझसे
कितनी देर रोते
रहे थे हम दोनो
न जाने तुम्हे
याद है कि नही पर,
बहुत याद आता है मुझे
और रुलाता है
वो तुम्हारा रोज मुझे
फोन करना और,
मेरी आवाज
सुनते ही रो पड़ना
बहुत याद आता है
फिर,
ना जाने क्या हुआ
किसकी नजर लगी
हमारे प्यार को
कि धीरे - धीरे तुम
बदल गये
मैंने कब तुम्हारी
खुशियाँ नही चाही
तुम्हारे लिए वो
सब किया जो तुमने चाहा
कहां मेरे प्यार में
कमी रह गयी जो
तुमने किसी और के
लिए मेरा प्यार
भुला दिया ....
आज भी तुम्हारे इंतज़ार में
रोज आती हूँ उस पगडंडी पर
तुम्हारी राह देखती हूँ और,
उदास हो कर वापस चली जाती हूँ
कल फिर वापस आने के लिए
इस आशा के साथ कि,
कभी तो तुम वापस आओगे
मेरे पास उसी पगडंडी पर
जहाँ तुम मुझे अकेला छोड़ गये थे ||

( चित्र - गूगल )


मीना पाठक







Thursday, January 17, 2013

शरारत



रात के ९ बजे हैं | डोर बेल बजता है | मैं बेटे को आवाज दे कर बोली - देखो पापा जी आ गये, गेट खोलो जा कर | बेटे ने दौड़ कर गेट खोल दिया | पतिदेव अन्दर आते हैं और गाड़ी खड़ी कर के सीधे रसोई की तरफ बढ़ते हैं | सब्जी का थैला रखते हुए मेरी तरफ देख कर घबरा जाते हैं |
अरे !! शालू क्या हो गया तुम्हे ? क्यों रो रही हो ? जल्दी से आ कर मेरे पास बैठ जाते हैं और मेरे आँसू पोछने लगते हैं | क्या हो गया शालू किसी ने कुछ कहा क्या ? मैंने तो तुम्हे कुछ कहा नही फिर क्या हुआ तुम्हे ? क्यों रो रही हो ?
बेटे को आवाज दे के पूछते हैं - मम्मी को किसी ने कुछ कहा क्या ? बेटा भी ना में सिर हिला देता है और मेरी तरफ देखने लगता है |
ये बोले - बोलती क्यों नही,क्या हुआ ? तब मैं पलकें झपकाते हुए बोली - क्या करूँ , जब भी मैं ये काम करती हूँ मुझे रोना आ जाता है | मैं अपने आँसू नही रोक पाती | 
क्यों करती हो वो काम जिससे तुम्हे रोना आता है | मेरे आँसू पोंछते हुए ये बोले |
मैं नही करुँगी तो कौन करेगा | घर के सारे काम मुझे ही करने होते हैं | कोई नौकर थोड़े ही लगवा रखा है आप ने | मैं थोड़ा गुस्से मे बोली |
अच्छा बाबा मैं ही कर दूँगा वो काम | आज के बाद तुम्हारी आँखों से एक भी आँसू नही गिरने चाहिए समझी | चलो अब मुस्कुरा दो | ये मुस्कुराते हुए बोले |
मैंने भी मुस्कुराते हुए अपना दोनो हाथ उनके ओर बढ़ा दिया और बोली - लो जी शुरू हो जाओ फिर देर किस बात की | मेरे एक हाथ में प्याज ओर दूसरे में चाकू देख कर ये सारा माजरा समझ गये |
पतिदेव मुस्कुराये और ये बोलते हुए रसोई से बाहर निकल गये कि "ये सब तुम्हारा काम है" | (प्याज काटने की वजह से मेरी आँखों से पानी गिर रहा था जिसे मेरे पतिदेव आँसू समझ बैठे थे ) तुम ही करो |
मैंने अपनी आँखें पोंछी और फिर जुट गई प्याज काटने में पर पतिदेव से ये शरारत कर के मैं बहुत खुश थी |



मीना पाठक 

शापित

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