Monday, February 13, 2017

कुछ ऐसा हो इस बार आप का ‘वैलेंटाइन डे'

फरवरी माह आते ही सभी प्रेमी जनों के दिल की धड़कनें बढ़ जाती हैं | सभी अपनी-अपनी तरह से वैलेंटाइन डे मनाने और अपने साथी को सरप्राईज देने की तैयारी में जुट जाते हैं | वैसे हमारे हिन्दुस्तनी परम्परा में ऐसा कोई दिन निर्धारित नही किया गया है | हमारे यहाँ तो इन दिनों वसंतोत्सव मानने की परम्परा रही है पर इस इंटरनेट के युग में बहुत से विदेशी त्योहारों ने हमारे यहाँ भी दस्तक दे दी है और इन्हें हमारे यहाँ भी जोर शोर से मनाया जाने लगा है खासकर आज की युवा पीढ़ी इन्हें बहुत ही उत्साह से मना रही है हलाकि बहुत से संगठन इसका विरोध भी करते हैं परन्तु इस भागती-दौड़ती, तमाम परेशानियों और तनाव भरी ज़िंदगी से अगर एक दिन प्रेम के लिए निकाल लिया जाय तो बुरा भी क्या है ! वैसे तो प्रेम को किसी एक दिन में समेटा नहीं जा सकता फिर भी इसी बहाने अपने साथी को कुछ समय देने के साथ-साथ वो उनके लिए कितने महत्वपूर्ण हैं..इसका एहसास करा सकें तो हर्ज़ ही क्या है ! पर हर दिन को मनाने का अपना अपना तरीका होता है | आजकल हर तीज-त्यौहार का व्यवसायीकरण हो गया है | कम्पनियों के झाँसे में हमारा युवा वर्ग बुरी तरह फँसा हुआ है और दिल खोल कर पैसे खर्च रहा है | इस दिन ना जाने कितने कार्ड..बुके..गुलाब.. चॉकलेट्स और भी ना जाने कितनी तरह के गिफ्ट बिक जाते हैं और कम्पनियों के वारे न्यारे हो जाते हैं | कम्पनियाँ बड़ी ही चालाकी से आपसे आपकी ही जेब का पैसा निकालवा लेती हैं | इस लिए इन त्योहारों को मनाने में थोड़ी सतर्कता बरतनी चाहिए | प्रेम का दिन है इस लिए इसे प्रेम से मनाएँ जरूरी नहीं कि आप के मित्र का साथी अगर अपने साथी को कोई कीमती उपहार दे रहा है या कहीं बाहर लंच या डिनर के लिए ले जा रहा है तो आप भी अपने साथी से यही उम्मीद करें | इस दिन घर में कुछ अच्छा सा अपने हाथों से बना कर लंच,डिनर घर पर भी कर सकते हैं | इससे एक तो पैसे की बचत होगी दूसरे आप ज्यादा समय अपने परिवार के साथ बिता पायेंगें | मँहगा बुके देने की अपेक्षा आप अपने बगीचे में खिले हुए ताजे गुलाब भी भेंट कर सकते हैं या आप के साथी ने जो भी उपहार अपने पॉकेट के अनुसार आप के लिए सलेक्ट किया है आप उसे ही खुशी से स्वीकार कर इस दिन को बेहतर बना सकते हैं | कोई भी त्यौहार मँहगे गिफ्ट या मँहगे रेस्टोरेंट में लंच, डिनर लेने से सफल नहीं होता बल्कि आपसी समझ-बूझ और एक दूसरे पर अटूट विश्वास से सफल होता है | एक दूसरे की जरूरतों..पसंद ना पसंद..भावनाओं का ख़याल रखना व रिश्तों में स्पेस बना कर चलना ही रिश्तों को दूर तक ले जाता है नहीं तो आज के इंटरनेट के युग में एक दूसरे को संदेह की दृष्टि से देखने का चलन बढ़ता जा रहा है और विश्वसनीयता खत्म होती जा रही है | ऐसे में ये दिन बहुत ही महत्वपूर्ण है अपने साथी को ये बताने के लिए कि आप मेरे लिए कितने खास हो | इस लिए इस मंदी के दौर में आप इसे अपनी तरह से भी मना सकते हैं | प्रेम में आडम्बर और दिखावे के लिए स्थान ही कहाँ होता है |
कोई भी उत्सव हमारे अकेले का नहीं होता..उसमे बच्चे व परिवार भी सम्मिलित होते हैं..और हम हिन्दुस्तानी हर उत्सव अपने परिवार संग मनाते हैं..तो चलिए मनाते हैं चौदह फरवरी को वैलेंटाइन डे..अपने परिवार..अपने बच्चों और प्रियजनों के साथ |


मीना पाठक


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