Wednesday, June 3, 2020
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शापित
माँ का घर , यानी कि मायका! मायके जाने की खुशी ही अलग होती है। अपने परिवार के साथ-साथ बचपन के दोस्तों के साथ मिलन...

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माँ का घर , यानी कि मायका! मायके जाने की खुशी ही अलग होती है। अपने परिवार के साथ-साथ बचपन के दोस्तों के साथ मिलन...
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भोर हुयी दिनकर उठे, खिले कुसुम हर ओर| फूटी आशा की किरण, नाचा मन का मोर || मन का स्वामी चन्द्रमा, भौंराए नित गोल| क्यों ना...
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कल से ही तबियत कुछ ठीक नहीं थी इस लिए आज सुबह सुबह ही हॉस्पिटल के लिए निकल गई वहाँ पहुँची तब तक भीड़ बहुत हो चुकी थी, अपना कार्ड जमा कर ...
अच्छे दोहे ।
ReplyDeleteधन्यवाद दी
DeleteWaah bahut badhiya
ReplyDeleteधन्यवाद पल्लवी जी
Deleteदोहों से महत्वपूर्ण संदेश । बधाई ।
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय सुनील जी
Deleteबढ़िया
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय
Deleteबढ़िया
ReplyDeleteधन्यवाद संगीता जी
Deleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteधन्यवाद शबनम जी
Deleteबहुत सुंदर दोहों से पुनः ब्लोग शुरू किया है बहुत शुभकामनाएँ ...
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय दिगंबर जी
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