सावन (श्रावण)
उत्सवों का माह है और इसी श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को रक्षाबंधन का त्यौहार
मनाया जाता है। ये भाई-बहनों के प्रेम को समर्पित त्यौहार है इस दिन बहनें अपने
भाई की कलाई पर राखी बाँधती हैं और भाई बहनों की रक्षा का संकल्प लेते हैं पर इस
त्यौहार का सम्बन्ध सिर्फ भाई-बहन से ही नहीं है | जो भी हमारी रक्षा करता है या कर सकता
है उसे हम राखी बाँधते हैं जैसे अपने पिता, पड़ोसी, हमारे सैनिक भाई और किसी राजनेता को भी राखी
बांध सकते हैं | प्रकृति
भी हमारी रक्षा करती है इस लिए पेड़ पौधों को भी राखी बाँधने का प्रचलन है ताकि
उनकी रक्षा हो सके क्यों कि रक्षा सूत्र में अद्भुत शक्ति होती है ये बात खुद
भगवान श्री कृष्ण ने महाभारत में कही है | राखी का त्यौहार भाई-बहनों को स्नेह की डोर में बाँधने का
त्यौहार है जिससे उनके रिश्तों में मिठास बनी रहती है और वो हमेशा इस डोर में बंधे
रहते हैं | भाई बचपन से ले कर
बुढ़ापे तक बहनों की रक्षा करते हैं और बहनें उनकी रक्षा के लिए उनकी कलाई पर
रक्षासूत्र बांधतीं हैं | कहीं-कहीं
पुरोहित भी अपने यजमान को उनकी उन्नति के लिए रक्षासूत्र बांधते है और यजमान
उन्हें सामर्थ्यानुसार दक्षिणा देते हैं | ये त्यौहार हमारे जीवन में मधुरता लाते हैं और ये हमारी
सांस्कृतिक धरोहर भी हैं | इस
त्यौहार को श्रावणी भी कहते हैं |
इस
दिन सुबह बहनें स्नान करके थाली में रोली, अक्षत, कुंमकुंम
और रंग-बिरंगी राखी रख कर दीपक जला कर पूजा करती हैं फिर पहले भगवान को राखी बाँध
कर फिर अपने-अपने भाइयों के माथे पर रोली का तिलक करती हैं और दाहिनी कलाई पर राखी
बाँधते हुए ये मन्त्र बोलती हैं |
येन
बद्धो बलि: राजा दानवेन्द्रो महाबल:।
तेन
त्वामभिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल॥
रक्षाबंधन
के बारे में अनेकों पौराणिक और ऐतिहासिक कथाएं हैं।
रक्षाबन्धन
कब प्रारम्भ हुआ इसके बारे में कोई निश्चित जानकारी नहीं है पर पौराणिक कथाओं के
अनुसार सबसे पहले इन्द्र की पत्नी ने देवराज इन्द्र को देवासुर संग्राम में असुरों
पर विजय पाने के लिए रक्षा सूत्र बंधा था। इस सूत्र की शक्ति से देवराज की युद्ध
में विजय हुयी थी ।
पुराणों
के एक और कथा के अनुसार बलि ने अपनी भक्ति के बल से भगवान को रात-दिन अपने सामने
रहने का वचन ले लिया। विष्णु जी के घर न लौटने से परेशान लक्ष्मी जी ने नारद जी से
उन्हें वापस लाने का उपाय पूछा, नारद जी ने उन्हें उपाय बताया तब नारद जी के
कहेनुसार लक्ष्मी जी ने राजा बलि के पास जाकर उन्हे राखी बांध कर अपना भाई बनाया
और भगवान जी को अपने साथ ले आयीं। उस दिन भी श्रावण मास की पूर्णिमा थी।
द्वापर
में शिशुपाल के वध के समय जब सुदर्शन चक्र से श्री कृष्ण की उंगली कट गई तब
द्रौपदी ने अपना आंचल फाड़कर उनकी उंगली पर बांध दिया था । उस दिन सावन की पूर्णिमा
थी तब भगवान कृष्ण ने द्रौपदी को उनकी रक्षा का वचन दिया था और चीरहरण के समय
उन्होंने अपना वचन निभाया था |
महाभारत में युधिष्ठिर ने श्री कृष्ण के कहने पर अपनी सेना की रक्षा हेतु पूरी
सेना को रक्षासूत्र बांधा था | कुन्ती
द्वारा अभिमन्यू की रक्षा हेतु उसे राखी बाँधने का उल्लेख भी मिलता है |
इतिहास
उठा कर देखें तो उसमे भी राजपूत रानी कर्मावती की कहानी है। जब रानी ने अपने राज्य
की रक्षा के लिए हुमायूं को राखी भेजी तब हुमायूं ने राजपूत रानी को बहन मानकर उनके
राज्य को शत्रु से बचाया था ।
सिकंदर
की पत्नी ने भी सिकंदर के हिन्दू शत्रु की कलाई में राखी बाँध कर सिकंदर के जीवन
दान का वचन लिया था |
राखी
प्रेम और सौहार्द का त्यौहार है | इस
रक्षाबंधन पर सभी भाई ये संकल्प करें कि वो अपनी बहनों के साथ-साथ दूसरों की बहनों
के सम्मान की भी रक्षा करेंगे और उनका अपमान ना करेंगे ना होने देंगे बहनों के लिए
इससे बड़ा कोई उपहार नही होगा |
सभी
को रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएँ |
मीना पाठक
(चित्र साभार गूगल )