सुनों देव
तुम पत्थर हो पत्थर | समझ रहें हो ना मैं क्या बोल रही हूँ | तभी तो तुम तक मेरी कोमल भावनाएं नहीं पहुँच पाईं आज तक | तुम्हे पूज-पूज के भगवान तो मैंने ही बनाया फिर भी तुम पत्थर के पत्थर ही रहे | सुना था कि तुम भोले हो थोड़े से प्रेम से ही प्रशन्न हो जाते हो पर मुझे तो वर्षों बीत गये तुम्हारी आराधना करते करते पर तुम वही के वही |
कभी - कभी तो लगता है कि मेरी पूजा सफल होने वाली है पर अगले ही पल तुम्हारी भृगुटी तन जाती है | तुम पत्थर हो और पत्थर ही रहोगे जीवन भर | इतने वर्षों में तुम्हारा हृदय परिवर्तन नहीं हुआ तो अब क्या होगा | अब तो मेरी भी उम्मीद जवाब दे रही है | शायद मेरी पूजा - अर्चना में ही कोई कमी रह गई जो तुम आज तक नही पिघले |
पर मेरी उन भावनाओं का क्या जो तुम तक आज तक नही पहुँची पाईं | पर अब मैं भी कोशिश नही करुँगी कि तुम मेरी भावनाओं को समझो | वो मेरी हैं और मैं अपने पास ही सम्भाल के रक्खुंगी | क्यों कि पत्थर पर सिर पटक - पटक के मैंने अपना माथा और आत्मा दोनों लहुलूहान कर रखा है \
मैं इस दर्द के साथ अकेले ही जी लूँगी | तुम बैठे रहो अकेले पत्थर बन के | प्रणाम करती हूँ तुम्हे दूर से ही |
मीना पाठक
ufff pathar par rass bhi itne sal ghisti hai to nishan padh jate hai par pathar dil kabhi bhi nhi badalte ,bahut hi dard bhari rachna .jis par beete wahi jaane
ReplyDeleteधन्यवाद नीलिमा सखी
Deleteबहुत दर्द भरी रचना .....
ReplyDeleteशुक्रिया अनू जी
Deletebahut hi marmik hai yah meena ji .......pathron se sar takrane ka kya fayda khud hi lauluhan ho jaoge ....
ReplyDeleteलेख पसन्द करने के लिए धन्यवाद सखी
Deletebhut hi marmhik rachna hai sach pather dil kabhi nai pigalta hai
ReplyDeleteसही कहा आप ने शांती जी ...बहुत बहुत शुक्रिया
Deleteअगर ईश्वर को मानती हो तो उसे पत्थर मे मत ढूंढो ....वह तो हमारे आस पास कण कण मे है ...आपमे है , मुझमे है ...हा खुशी तलाशने के तरीके अलग हो सकते है । बेहद मार्मिक और दिल से लिखा है आपने
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद
Deleteapne ishwar se shikayat karne poora haq hota hai sadhak ko, bahut achchhe aur saral shabdo me aapne apni bhavna ka warnan kiya hai. mujhe bahut pasand ayaa aapka ye lekh.
ReplyDelete--Lekh
बहुत बहुत धन्यवाद लेख जी
Deleteइनसे लड़ाई जायज़ भी है और करनी भी चाहिये..
ReplyDeleteबहुत अच्छा लिखा है दीदी
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भरत
सही कहा आप ने भरत ... बहुत बहुत धन्यवाद
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