नौ महीने
अपनी कोख में सम्भाला
पीड़ा सहकर
लायी मुझे दुनिया में
जानती हूँ
बहुत दुःख सह, ताने सुन
जन्म दिया मुझे
मैंने सुना था, माँ!
जब बाबा ने तुम्हें धमकाया था
कोख में ही मारने का
दबाव बनाया था
दादी ने क्या-क्या नही सुनाया!
पर तुम!
न डरी, न झुकी
मुझे जन्म दिया
हमारे होते भी
तुम निपूतनी कहलाई
पर तुम्हारे
प्यार में कमी न आई
तुम्हारे आँसुओं का
मोल चुकाना है
बेटी के जन्म से
झुका तुम्हारा सिर
गर्व से उठाना है
माँ! तुम्हारा कर्ज चुकाना है ||
मीना पाठक
चित्र -- साभार गूगल
मार्मिक रचना ....बहुत सुंदर लिखा मीना
ReplyDeleteक्षमा माँ जननी ममतामयी के दूध और नमक का ऋण तो भगवान् ,देवता,ख़ुदा भी ना उतार सके
ReplyDeleteसुंदर भावपूर्ण
उम्दा पोस्ट
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