Thursday, September 26, 2013

माँ तुम्हारा कर्ज चुकाना है

















नौ महीने
अपनी कोख में सम्भाला
पीड़ा सहकर
लायी मुझे दुनिया में
जानती हूँ
बहुत दुःख सह, ताने सुन
जन्म दिया मुझे

मैंने सुना था, माँ!
जब बाबा ने तुम्हें धमकाया था
कोख में ही मारने का
दबाव बनाया था
दादी ने क्या-क्या नही सुनाया!
पर तुम!
न डरी, न झुकी
मुझे जन्म दिया

हमारे होते भी
तुम निपूतनी कहलाई
पर तुम्हारे
प्यार में कमी न आई

तुम्हारे आँसुओं का
मोल चुकाना है
बेटी के जन्म से
झुका तुम्हारा सिर
गर्व से उठाना है
माँ! तुम्हारा कर्ज चुकाना है ||

मीना पाठक
चित्र -- साभार गूगल 

3 comments:

  1. मार्मिक रचना ....बहुत सुंदर लिखा मीना

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  2. क्षमा माँ जननी ममतामयी के दूध और नमक का ऋण तो भगवान् ,देवता,ख़ुदा भी ना उतार सके
    सुंदर भावपूर्ण

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