बसंती
हवा
गुलाबी
शरद
गुनगुनी
धूप सी,
शीतल
जल
पवन
में सुगंध
कोयल
के कूक सी,
कमलदल
सतरंगी
रश्मियां
शशि
किरन सी,
बौराई
भँवर
कल-कल
सरिता
अटल
शिखर सी,
ऊर्वशी
शकुंतला
यशोधरा
सी,
स्त्री
!!
जननी,
तरणी,
संरक्षणी
सम्पूर्ण
प्रकृति की संचालिनी
फिर
भी !!
अबला,
उपेक्षिता,
तिरष्कृता,
पराश्रिता
सी
क्यूँ ??
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