मुट्ठी से रेत की तरह
फिसल गया ये साल भी
पिछले साल की तरह,
वही तल्खियाँ, रुसवाइयाँ
आरोप, प्रत्यारोप,बिलबिलाते दिन
लिजलिजाती रातें, दर्द, कराह
दे गया सौगात में
सोचा था पिछले साल भी
होगा खुशहाल, बेमिशाल
लाजवाब आने वाला साल,
भरेगा खुशियों से दामन
महकेगा फूलों से घर आँगन
खुले केशों से बूँदें टपकेंगी
हर कदम मोती सी बिखरेंगी
देगी तुलसी के चौरा में पानी
बन के रहेगी वो राजा की रानी,
हो गया फिर से आत्मा का चीरहरण
केश तो खुले पर द्रोपदी की तरह
कराह, चीख से भर गया घर आँगन
अपमान की ज्वाला से दहकने लगा दामन
भर गया रगों में नफरत का जहर
हाहाकार कर उठा अंतर्मन
याद कर वो बरपा हुआ कहर,
लो आ गया फिर से नया साल
जागी है फिर दिल में आस केश तो खुले पर द्रोपदी की तरह
कराह, चीख से भर गया घर आँगन
अपमान की ज्वाला से दहकने लगा दामन
भर गया रगों में नफरत का जहर
हाहाकार कर उठा अंतर्मन
याद कर वो बरपा हुआ कहर,
लो आ गया फिर से नया साल
लाएगा खुशियाँ अपार
मिटेगा मन से संताप,
दहकाए न कलुषित शब्दों का ताप
दे ये नया साल खुशियों की सौगात,
हो, माँ शारदे की अनुकम्पा
बोल उठें शब्द बेशुमार
मेघ घनन-घन बरसे
कल-कल सरिता बहे
धरती धनी चूनर ओढ़े
फिर,
नाच उठे मन मयूर
शब्द झरें बन कर पुष्प
गाये पपीहा मंगल गीत
आने वाले साल का
हर दिन हो शुभ !!!
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आप सभी को नव वर्ष की अनंत शुभकामनाएँ !
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